मैं रोशनी का सलार हूँ । मैं रोशनी का सलार हूँ ।
मैं भी चट्टान का जो बेटा हूँ...! मैं भी चट्टान का जो बेटा हूँ...!
नाश्ता मिले तो समझो परायापन। खाना मिले तो अपनों का अपनापन।। नाश्ता मिले तो समझो परायापन। खाना मिले तो अपनों का अपनापन।।
जीवन का दर्शन कराती यह कविता मनुष्य को उसके अस्तित्व के बार में बताती है । जीवन का दर्शन कराती यह कविता मनुष्य को उसके अस्तित्व के बार में बताती है ।
मोहब्बत होने के बाद का एहसास ही बिल्कुल अलग होता है। लगभग हर इंसान को जीवन में एक बार अवश्य किसी न क... मोहब्बत होने के बाद का एहसास ही बिल्कुल अलग होता है। लगभग हर इंसान को जीवन में ए...
"मैं अक्सर जब लिखने बैठता हूँ,वह मेरे साथ बैठ जाया करती है.दीदी,मेरी छोटी बहन.मैं कुछ लिखता हूँ और व... "मैं अक्सर जब लिखने बैठता हूँ,वह मेरे साथ बैठ जाया करती है.दीदी,मेरी छोटी बहन.मै...